मै श्रीमति माधुरी बाजपेयी, अपनी परिस्थितियों के अनुरूप भाव की अभिव्यक्ति में विश्वास करती हूं, में लेखनी में रूचि रखती हूं, मेरा जीवन अलग अलग रंगों से भरा है, इस लिए में चाहती हू, कि उन रंगों को आज की पीढ़ी को समर्पित करूं अपनी लेखनी से,मेरा बाल्य काल आध्यात्मिक सुंदरता और भी भिन्न भिन्न तरीकों से भरा पड़ा है, में भारत के मध्यप्रदेश के मण्डला शहर में निवास करती हूं,मुझे लगता है की भाव को,यदि शक्ति के जैसे उपयोग किया जाये तो जीवन में अनेक बदलाव देखने को मिलेंगे जिससे भाव मे श्रेष्ठता आएगी । और जीवन के सभी तरह के उत्थान में मदद मिलेगी ।
सुरभि जैन की पुकार.. मेरे भगवान, मेरे गुरुवर कहाँ चले गये आप, मेरे भगवन, मेरे गुरुवर …
बगलामुखी जन्मोत्सव विशेष 〰️〰️🌸〰️🌸🌸〰️🌸〰️〰️ वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का…
तेरे सद के मैं जाऊ मेरी जान तिरंगा। ओ मेरी शान तिरंगा। तुझसे ही है मेरी पहिचान तिरंगा…
अचानक से आज यूँ ही ख़्याल आया कि.... अख़बार पढ़ा तो प्राणायाम छूटा, प्राणायाम किया तो अ…
मेरे जीवन की एक अद्भुत घटना जिसका भाव ,भोजन बहुमूल्य है | अन्न ब्रम्ह अस्ति | no wa…
मकर संक्रांति भारत देश त्यौहारों और उत्सवों का देश माना जाता है । यूं देखा जाए तो …
दिल को छू गई धड़कने आज़ाद हैं, पहरे लगाकर तो देख लो.. प्यार छुपता ह…
मत रोको मुझे, बोलने दो, "मां" बहुत की हुकूमत तुझ पर ,उन सब ने, बहुत चलाए त…
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